प्रीति बनकर मै मिली भगवान से ,
भक्त के ह्रदय में नित्य मेरा वास है ,
विद्युल्लता सी मैं प्रवाहित होती रही ,
साधना में योगियों के साथ मैं ;
मैं आराध्या, मैं ही साधना ,
मैं आराध्या, मैं ही साधना ,
मैं ही हूँ शिव -मुख प्रेक्षणी ,
मैं हूँ लतिका प्रेम की , भाव की ,
योगियों के ध्यान की
मैं ही शिव हूँ मैं ही शक्ति
मैं ही अर्धांगिनी विष्णु की