Saturday, January 8, 2011

MA KUNDALINI

प्रीति बनकर  मै मिली  भगवान  से  ,
भक्त  के  ह्रदय  में  नित्य  मेरा  वास  है ,
विद्युल्लता  सी  मैं  प्रवाहित   होती  रही ,
साधना  में  योगियों  के  साथ  मैं ;
मैं  आराध्या, मैं  ही  साधना ,
मैं   ही हूँ   शिव -मुख  प्रेक्षणी ,
मैं  हूँ  लतिका  प्रेम  की , भाव  की ,
योगियों   के  ध्यान  की  
मैं ही शिव हूँ मैं ही शक्ति
मैं ही अर्धांगिनी विष्णु की


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