पूर्व जन्म के कृत्यों के वशीभूत ही यह जन्म होता है यह तो हम कई बार अनेक स्थानों पर पढ़ चुके हैं जो मान्य है किन्तु इस जीवन में किये सत्कर्मों या सत्प्रयासों का परिणाम यदि आशाजनक न मिले तो क्या पुनः एक ओर जन्म की यात्रा नियत होती है ?? उत्तर देना शायद मुमकिन न हो . किन्तु प्रयास करना
पातंजल योग दर्शन में सतत अभ्यास एवं ईश्वर प्रणिधान पर ही बल दिया गया है. ईश्वर-प्रणिधान का अत्यंत स्पष्ट विवेचन स्वामी शिवोम तीर्थ जी ने पातंजल योग दर्शन पर अपनी टिप्पणियों में अनेक बार समझाया है. इस शब्द का इतना अच्छा स्पष्टीकरण सभी साधकों के लिए पठनीय व अनुकरणीय बन गया है. स्वामी विष्णुतीर्थ जी महाराज की पातंजल योगदर्शन पर टिप्पणियों को अत्यंत विद्वत्ता से समझाया है. जिससे साधक को प्रेरणा एवं अपने मार्ग में सतत लगे रहने व अपनी स्थिति का बोध करने में सहायता प्राप्त होती है.