Wednesday, November 12, 2014

One who has dignity of knowledge, becomes serious and polite.
Fruits laden branch of a tree bows down itself.
Water, from the pitcher filled to the brim, does not spill-out when it is carried away by somebody on head,
Whereas, Water from a half filled pitcher spills out.
जब व्यक्ति अपने गर्व या अभिमान की रक्षा अपने गुणों के विकास के द्वारा नहीं कर पाते; तब, दूसरे आत्म-विकास की दिशा में सतत प्रयत्न-शील बने रहने के कारण सम्मान और ख्याति की मंजिले तय कर जाते हैं. उनकी ख्याति अपनी ख्याति से ऊंची होने लगती है ; तब स्वयं का गर्व चूर चूर हो जाता है ; और ईर्ष्या का रूप ले लेता है.
जिस प्रकार बैर, अव्यक्त क्रोध का स्थायी रूप होता है, उसी प्रकार ईर्ष्या आत्म विकास के मार्ग में असमानता के कारण उत्पन्न होती है.
इसलिए ईर्ष्या में परिस्थितियों के प्रति क्रोध के कुछ अंश का समावेश होता है. अतः. ईर्ष्या और बैर सगे भाई बहन है .
और अभिमान, एक भ्रान्ति है जो मनुष्यों के द्वारा अपनी शक्ति के अवास्तविक आकलन के कारन उत्पन्न होता है . OM